Video - Fulfilling Duty Without Attachment to Results
"भगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण हमें यह सिखाते हैं कि हमें अपने कर्तव्य को बिना परिणाम की आसक्ति के कैसे निभाना चाहिए।" "श्री कृष्ण कहते हैं, 'कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। "इस श्लोक का अर्थ है कि हमें केवल अपने कर्म करने का अधिकार है, न कि उनके फलों पर। सफलता और असफलता में समानता बनाए रखनी चाहिए।" "परिणाम की आसक्ति हमें निराशा और तनाव की ओर ले जाती है। हमें केवल अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ निभाना चाहिए।" "जब हम बिना आसक्ति के कर्म करते हैं, तो हमें सच्ची शांति और आनंद प्राप्त होता है। यह हमें अपने आंतरिक संतुलन और स्थिरता को बनाए रखने में मदद करता है।" " श्री कृष्ण हमें यह सिखाते हैं कि हमारा असली उद्देश्य अपने कर्मों को पूरी ईमानदारी और निष्काम भाव से निभाना है।" "परिणाम की आसक्ति के बिना अपने कर्तव्यों को निभाएं। भीतर की शांति और संतोष का अनुभव करें।" "अपने कर्तव्य को निभाएं, परिणाम की चिंता किए बिना।