Video - गांव का रहस्यमयी खजाना: प्राचीन कथा का नया अध्याय
धीरे-धीरे शाम ढल रही थी और सूरज अपने आखिरी किरणें छोड़ रहा था। गांव के किनारे बसे चाय की दुकान पर बुधिया और श्याम बैठकर चाय की चुस्कियां ले रहे थे। अचानक, गांव के छोटे से मंदिर से एक बुजुर्ग पुजारी हांफते हुए दुकान की तरफ दौड़ा आया। "क्या हुआ बाबा?" श्याम ने चिंतित होकर पूछा। बाबा ने सांस लेते हुए कहा, "गांव के पश्चिमी छोर पर एक पुराने कुएं के पास मुझे कुछ अजीब आवाजें सुनाई दी। ऐसा लगा कि कोई फुसफुसा रहा हो।" बुधिया और श्याम ने बाबा की बात पर हंसी उड़ाई लेकिन फिर भी उनके दिल में कुछ सवाल तो उठ ही गए। वे दोनों एक-दूसरे को देखते हुए रुख बदला और बाबा की ओर मुड़ते हुए बोले, "चलो, आज देख ही लेते हैं उस रहस्य को।" तीनों मिलकर उस पुराने कुएं की ओर बढ़े। कुएं के पास पहुँचने पर वे सच में कुछ अजीब सा महसूस करने लगे। हवा में एक विचित्र ठंडक थी। अचानक, कुएं के अंदर से जल की बूंदें छिटक कर बाहर आने लगीं। श्याम ने झुककर देखा तो उसको एक चमकती हुई वस्तु दिखी। उसे बाहर निकालते ही उनकी आंखें चौंधियाती हुई चमक उठीं। वह एक छोटी सी तांबे की कलश थी जिसमें रहस्यमयी संकेत खुदे हुए थे। बाबा ने तुरंत पहचान लिया कि यह कोई सामान्य कलश नहीं है बल्कि यह प्राचीन समय से जुड़े किसी रहस्य का हिस्सा है। बुधिया ने हिम्मत जुटाकर कलश को खोला तो उसके अंदर एक पुराना कागज निकला। कागज पर एक नक्शा बना हुआ था जो किसी गुप्त स्थान की तरफ इशारा कर रहा था। ये एक ऐसे रहस्य की गति थी जिससे इस गांव की प्राचीन कथा जुड़ी हुई थी। श्याम, बुधिया और बाबा ने एकजुट होकर उस नक्शे की दिशा में आगे बढ़ने का निर्णय लिया। उनकी यह यात्रा रहस्यमयी मोड़ लेती हुई अंततः उन्हें एक ऐसे गुप्त दरवाजे तक ले गई जिसे खोलने पर उन्होंने खुद को उस खजाने के सामने पाया जिसे गांववालों ने सिर्फ सुना था, लेकिन कभी देखा नहीं। गांव के पुराने इतिहास और पौराणिक कथाओं की पुष्टि होने पर उन्हें एहसास हुआ कि वे अब एक नई कथा का हिस्सा बन चुके हैं – एक ऐसी कथा जो पीढ़ियों तक सुनाई जाएगी।