Video - रहस्यमयी दरवाजे की खोज: रोहन और सिया का अद्भुत साहसिक सफर
चंचल नदी के किनारे एक शांत और सुंदर गाँव बसा हुआ था। इस गाँव में एक पुराने पीपल के पेड़ के नीचे कई पीढ़ियों की कहानियाँ दफन थीं। गांव के एक बुजुर्ग, दादाजी हमेशा बच्चों को उस पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर कहानी सुनाया करते थे। उनकी कहानियों में अक्सर एक रहस्यमयी दरवाजा और उसके पार मौजूद एक अद्भुत नगरी का जिक्र होता था। एक दिन, रोहन और उसकी छोटी बहन सिया ने फैसला किया कि वे उस रहस्यमयी दरवाजे को ढूंढने की कोशिश करेंगे। उन्होंने दादाजी से सारी जानकारी ली और निकल पड़े उस रोमांचक सफर पर। चलते-चलते वे नदी के पास पहुँच गए जहाँ पीपल का पेड़ खड़ा था। पेड़ के चारों ओर खोजते हुए, उन्हें मिट्टी में हल्का सा उभार दिखा, जिसमें एक लोहे की अंगूठी लगी हुई थी। रोहन ने हिम्मत जुटाते हुए उस अंगूठी को खींचा। अचानक से जमीन में एक दरवाजा खुला। दोनों भाई-बहन दिल थाम कर उस दरवाजे से नीचे उतर गए। नीचे एक लंबा गलियारा था, जो चारों ओर फैला हुआ था। दोनों ने अपने बैग से टॉर्च निकाली और रास्ते को रोशन किया। गलियारे के अंत में उन्हें एक अद्भुत नगरी मिली, जिसमें सोने की चमचमाती ईमारतें और अज्ञात जाति के लोग निवास कर रहे थे। ये लोग बहुत मिलनसार थे और उन्होंने रोहन और सिया का स्वागत किया। वहाँ के प्रमुख ने उन्हें बताया कि ये नगरी सदियों से दुनिया की नजरों से छिपी हुई है। रोहन और सिया ने इस नगरी में कई सप्ताह बिताए और वहां के रहस्यों को जाना। जब वे वापिस अपने गाँव लौटे, तो उनके पास अद्भुत कहानियों और अनुभवों का खजाना था जो उन्होंने पूरे गांववालों के साथ बाँटा। दादाजी ने उनका स्वागत किया और उन्होंने इस नई कहानी को अपने खजाने की पुस्तिका में शामिल किया। इस रोमांचक यात्रा से रोहन और सिया ने सीखा कि साहस और जिज्ञासा किसी भी रहस्य को उजागर कर सकते हैं और यही उनकी सबसे बड़ी दौलत थी।