Video - जादुई किताब का खौफ: नेहा की डरावनी रात
रात का तीसरा पहर चल रहा था और हवाएं अजीबोगरीब आवाज कर रही थीं। नेहा अपने कमरे में अकेली बैठी थी, उसके सामने एक पुरानी सी किताब रखी थी, जो उसने अपनी दादी के पुराने बक्से से निकाली थी। अचानक, किताब के पन्ने अपने-आप पलटने लगे। नेहा की सांसें थम गईं। उसने किताब को बंद कर दिया, लेकिन पन्ने अब भी फड़फड़ा रहे थे। तभी कमरे का तापमान अचानक गिर गया, और दीवारों पर साये नाचने लगे। नेहा ने देखा कि किताब धीरे-धीरे टेबल से उठकर हवा में तैरने लगी। उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं और दिल की धड़कन तेज हो गई। किताब हवा में घूमते हुए कमरे के दूसरे कोने में जाकर गिर गई। नेहा ने कांपते हुए कदम बढ़ाए और किताब उठाने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उसने उसे छुआ, एक ठंडी आवाज गूंज उठी, "तुमने हमें जगा दिया है।" नेहा ने किताब को छोड़ दिया और पीछे हट गई। किताब के पन्नों से काले धुंए का बादल निकलने लगा और कमरे में फैल गया। नेहा का पूरा शरीर जम गया, उसकी आंखें डर से बंद हो गईं। जब उसने आंखें खोलीं, तो देखा कि कमरे में कुछ भी सामान्य नहीं था—दीवारों पर खून के धब्बे थे और फर्श पर अजीब निशान। खौफ के मारे नेहा चीखने लगी, लेकिन उसकी आवाज कमरे की दहलीज से बाहर नहीं जा सकी। किताब ने उसे हमेशा के लिए अपने अंदर समेट लिया।