Video - भटकती आत्मा का खौफ: सुदूर गाँव की डरावनी दास्तान
रात का तीसरा पहर था। सुदूर गांव में खड़ा वह पुराना किसान का घर, जिसमें वर्षों से कोई नहीं रहता था, अजीबोगरीब खामोशी में डूबा हुआ था। गाँव के लोग कहते थे कि उस घर में किसान की आत्मा भटकती है, जो अपनी फसल के साथ मरी थी। रवि और उसकी दोस्त सीमा, जो भूत-प्रेत की कहानियों में रुचि रखते थे, साहस करके उस घर की ओर बढ़े। दरवाजे से गुजरते ही ठंडी हवा का झोंका उनके रोंगटे खड़े कर गया। दीवारों पर लगे जाले और मुरझाए पौधों ने उनकी राह में डर का माहौल बना दिया। अचानक, रवि ने देखा कि एक पुरानी पगड़ी और धोती पहने हुए एक परछाई हल्की सी हिली। "सीमा, क्या तुमने देखा?" रवि ने कांपते हुए पूछा। सीमा ने सिर हिलाया, उसकी आँखें डर से चौड़ी हो गईं। कमरे के एक कोने से एक धीमी, घुटी हुई आवाज आई, "फसल मेरी थी, तुम्हारी नहीं।" उस आवाज़ में ऐसा दर्द और क्रोध था कि रवि और सीमा दोनों के दिल की धड़कनें तेज हो गईं। उनकी साँसें रुकने लगीं जब उन्होंने देखा कि उस परछाई के हाथ में एक चमचमाती हुई दरांती थी। दरांती की चमक में गहराई और बढ़ गई, और अचानक वह परछाई उनके पास आ गई। बिना समय गंवाए, रवि और सीमा ने दरवाजे की ओर दौड़ लगा दी, लेकिन दरवाजा अपने आप बंद हो गया। आखिरी चीख उनके गले में ही रह गई, और उस रात वह घर फिर से खामोश हो गया, जैसे कुछ हुआ ही न हो। लेकिन अब, वहां से गुजरने वाले लोग कभी-कभी सुनी सुनाई आवाजों को सुनते हैं, जैसे कोई अपनी फसल की रक्षा कर रहा हो।