Video - रहस्यमयी पहाड़ियों का खजाना: पलक और मनोज की अद्भुत यात्रा
ट्रेन ने धीरे-धीरे स्टेशन पर प्रवेश किया। एक उदासीनता के बाद भी, वातावरण में एक अनोखा उत्साह फैला हुआ था। पलक अपनी सीट से उठकर खिड़की के पास आकर बैठ गई और बाहर के दृश्य को देखने लगी। उसकी नजर अचानक दूर पहाड़ियों पर पड़ी। उन पहाड़ियों के पीछे छिपे रहस्यों के बारे में उसने कई कहानियाँ सुनी थीं। बच्चों के खेलते हुए ग्राउंड के पास पहुंचते ही मनोज और उसकी टोली ने अपनी खोजबीन की यात्रा शुरू की। पहाड़ी के गुप्त दरवाजे को खोजने में संजीव और उसके साथियों ने अपना पूरा दम लगा दिया था। अव्यवस्थित रास्तों से गुजरते हुए, उन्हें एक पुराना द्वार मिला। द्वार के ऊपर कुछ प्राचीन लिपियों में लिखा हुआ था। पलक और मनोज ने मिलकर उस लिपि को पढ़ने का प्रयास किया, और धीरे-धीरे वह्य द्वार खुला। अंदर एक विशाल कक्ष था, जिसमें एक उज्ज्वल रोशनी थी, और वहां का हर कोना एक अनोखे रहस्य को बयां कर रहा था। उनके सामने खड़ा था एक बड़ा सा संदूक। मनोज ने जब उसे खोला तो उसमें एक पुरानी पांडुलिपि और कुछ अद्भुत रत्न थे। दोनों ने उत्साह के साथ पांडुलिपि को पढ़ना शुरू किया, जिसमें एक महान भविष्यवाणी लिखी हुई थी। पांडुलिपि के अनुसार, इस खजाने को प्राप्त करने वाला व्यक्ति अपने गांव की सारी समस्याओं का समाधान कर सकता था। पलक और मनोज ने यह खजाना अपने गांव में ले जाने का निश्चय किया। गांव का माहौल धीरे-धीरे बदलने लगा था। खजाने से प्राप्त सम्पत्ति से गांव का विकास हो रहा था और हर जगह खुशहाली छा गई थी। इस साहसिक यात्रा ने उन्हें एक नई दिशा दी, और गांववालों के लिए एक सुनहरी सुबह की शुरुआत की।