Video - खजाने का रहस्य: अर्जुन और दोस्तों की भूतिया किले की कहानी
राम प्रसाद अपने बच्चों के साथ पुराने किले के पास बसे गांव में रहता था। किला वर्षों से बंद था और गांववालों का मानना था कि वहां कुछ भयानक छिपा हुआ है। एक दिन, राम प्रसाद के बड़े बेटे, अर्जुन, ने अपने दोस्तों के साथ किले में जाने का निश्चय किया। किले के भीतर गहरे तहखाने में उन्हें पुराने राजघराने के कुछ दस्तावेज मिले जिनमें अद्भुत खजाने का उल्लेख था। दस्तावेजों में वर्णित सुरंग से होते हुए, वे एक बड़े, अंधेरे कक्ष तक पहुंचे। इस कक्ष के बीचों-बीच एक विशाल नाग की मूर्ति थी। मूर्ति के चारों ओर रहस्यमय चिन्ह थे। अर्जुन ने हिम्मत दिखाते हुए एक चिन्ह को छुआ, और अचानक से कक्ष में प्रकाश हो गया और मूर्ति के नीचे का दरवाजा खुल गया। दरवाजे के उस पार असंख्य सोने की मूर्तियाँ और बहुमूल्य रत्न थे। परंतु तभी, अर्जुन के दूसरे दोस्त को लगा कि उनकी परछाई हिल रही है। इससे पहले कि वे कुछ समझ पाते, अंधेरे से एक भूतिया आकृति प्रकट हुई और उसने उन्हें चेतावनी दी कि यह खजाना उसके राजघराने का है और उसे बाहर ले जाने की कोशिश करना उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है। डरे-सहमे अर्जुन और उसके दोस्तों ने तुरंत तहखाने से बाहरी दुनिया में लौटने का प्रयास किया। जब गांववालों ने यह कहानी सुनी, तो उन्होंने किले को हमेशा के लिए बंद रखने का निर्णय लिया। अर्जुन और उसके दोस्तों ने फिर कभी उस किले की ओर रुख नहीं किया और उसकी रहस्यमय खजाने की कहानी गांववालों के बीच एक दंतकथा बन गई।